tag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post5250602505478459576..comments2023-02-12T20:18:34.742+05:30Comments on प्रयास: कितने वर्ष जीना चाहोगे? - 2Reemahttp://www.blogger.com/profile/11983466677054631482noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post-82977266193721609092009-03-25T17:53:00.000+05:302009-03-25T17:53:00.000+05:30reema ji aap bahut acha likhti hai. aapki ye rachn...reema ji aap bahut acha likhti hai. aapki ye rachna muje pasand aayi. apki is rachna k liye aapko badhaiPawan Kumar Sharmahttps://www.blogger.com/profile/04738864595169202679noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post-37832438298994536142009-03-21T21:50:00.000+05:302009-03-21T21:50:00.000+05:30माननीय महोदयसादर अभिवादनआज मैंने आपके ब्लाग पर भ्र...माननीय महोदय<BR/>सादर अभिवादन<BR/>आज मैंने आपके ब्लाग पर भ्रमण किया। आपकी रचनाशीलता के लिए <BR/>बधाई स्वीकारें। रचनाओं के प्रकशन के लिए साहित्यिक पत्रिकाओं के पते चाहते हों तो मेरे ब्लाग पर अवश्य ही पधारें। <BR/>अखिलेश शुक्ल <BR/>संपादक कथा चक्र<BR/>http://katha-chakra.blogspot.comअखिलेश शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/15550022760896923056noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post-28782528311947461542009-03-18T12:10:00.000+05:302009-03-18T12:10:00.000+05:30जीना और मरना अगर इन्सान के हाथ में होता तो यकीं मा...जीना और मरना अगर इन्सान के हाथ में होता तो यकीं मानिये इस खुबसूरत दुनिया को छोड़कर कोई भी जाना नहीं चाहेगा.समीर सृज़नhttps://www.blogger.com/profile/12112941015351631565noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post-75464587336440143242009-03-15T20:47:00.000+05:302009-03-15T20:47:00.000+05:30एक अच्छा व्यंग्य. मज़ा आया पढ़कर.एक अच्छा व्यंग्य. मज़ा आया पढ़कर.zeashan haider zaidihttps://www.blogger.com/profile/16283045525932472056noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post-31180238710700233482009-03-12T21:07:00.000+05:302009-03-12T21:07:00.000+05:30रीमा जी, आपका ब्लौग बहुत अच्छा है. आपने मेरे ब्लौग...रीमा जी, आपका ब्लौग बहुत अच्छा है. आपने मेरे ब्लौग 'ज़ेन कथा' पर अपना प्रेरक कमेन्ट दिया, उसके लिए आपका धन्यवाद. उस ब्लौग की कुछ कहानियां मैंने http://www.spiritual-short-stories.com से लेकर अनूदित की हैं. कृपया मुझे पत्थर की तीन बहनों की कहानियां के अन्य वेबपेज बताएं. मैं उस कहानी के दुसरे वर्ज़न पढना चाहता हूँ.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post-20223441891451287822009-03-12T20:36:00.000+05:302009-03-12T20:36:00.000+05:30अरविन्द जी, आपका प्रोत्साहन सरान्खों पर! और आपने ब...अरविन्द जी, आपका प्रोत्साहन सरान्खों पर! और आपने बिलकुल सही कहा कि "शंकराचार्य ,विवेकानद और रामानुजम और भी जीते तो मानवता का कितना भला होता !" क्योंकि एक दिन में चौबीस घंटे ही होते हैं - उसमे सीमित कार्य ही किए जा सकते हैं. अगर सबको ईयर्स ज्यादा मिलेंगे तो डीड्स भी ज्यादा कर पाएँगे न!<BR/><BR/>और मैं बुढापे को लाचारी का पर्यायवाची कभी भी मान पायी हूँ, चाहे कोई कितना भी इस बात को साबित करने कि कोशिश करे. बुजुर्ग तो दुनिया के सबसे मज़बूत स्तम्भ होते हैं. और पता नहीं अगले दस सालों में ही विज्ञान कितनी तरक्की कर लेगा. दीपक चोपडा की किताब तो नहीं पढ़ी है, लेकिन शीर्षक अच्छा लगता है - "एजलेस बॉडी, टाइमलेस माइंड"Reemahttps://www.blogger.com/profile/11983466677054631482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post-72348819244561950382009-03-12T20:18:00.000+05:302009-03-12T20:18:00.000+05:30लवली जी, आपकी कामना ज़रूर पूरी हो! मुझे पूरा यकीन ...लवली जी, आपकी कामना ज़रूर पूरी हो! मुझे पूरा यकीन है की आपको किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं पड़ेगी बल्की आप न जाने कितने अपनों व परायों का सहारा बनेंगी. पर हाँ, सगे सम्बन्धियों के बिन मांगे दिए गए प्यार व सहारे को कभी अहम के कारण ठुकराना भी नहीं चाहिए.Reemahttps://www.blogger.com/profile/11983466677054631482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post-59702761207199827032009-03-12T16:58:00.000+05:302009-03-12T16:58:00.000+05:30वाह ,मजा आ गया ! संस्मरण भी कहानी भी ! बिलकुल पटकथ...वाह ,मजा आ गया ! संस्मरण भी कहानी भी ! बिलकुल पटकथा की तरह -एक एक शब्द चित्र जीवंत हो उठे ! दृश्य साकार हो उठे ! यह आपकी हिन्दी की बेहतरीन रचनाओं में शुमार होगी -यह मेरा आशीर्वाद रहा ! <BR/>कितना जियें ,किस लिए जियें ? एक कवि ने लिखा -एक पल ही जियो फूल बन कर जियो शूल बनकर ठहरना नहीं जिन्दगी ! <BR/>अंगरेजी की वह कहावत तो है ही -लिव इन डीड्स नॉट ईयर्स ! पर मुझे यह बिलकुल ठीक बात लगी कि जब तक केक और मिठाईयां मिलती रहें भला भरपूर जी लेने में हर्ज ही क्या है ? हमारी संस्कृति तो जीवेम शरदः शतम की रही ही है ! <BR/>आप अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जियें -जब तक जियें ! मुझे लगता है शंकराचार्य ,विवेकानद और रामानुजम और भी जीते तो मानवता का कितना भला होता ! <BR/>मेरा ह्रदय के कोर से निकला लांग लिव का आशीर्वाद रीमा इसी अर्थ में ही है ! और तुमने उसे चरितार्थ करना शुरू भी कर दिया है ? ग्रेट !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post-27273652422218668622009-03-12T16:22:00.000+05:302009-03-12T16:22:00.000+05:30मैं भी आपकी तरह १०० साल जीना चाहूंगी ..पर एक शर्त ...मैं भी आपकी तरह १०० साल जीना चाहूंगी ..पर एक शर्त है ऐसा तब ही हो जब मुझे किसी सहारे की जरुरत न हो. हिंदी में मुख्यतः चार ही अग्रीगेटर हैं .ब्लोग्वानी ,नारद ,हिंदी ब्लोग्स ,और चिठ्ठा जगत.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-143925107238569604.post-61461378141561241412009-03-12T00:25:00.000+05:302009-03-12T00:25:00.000+05:30बहुत बढिया शुभकामनाओं सहितबहुत बढिया शुभकामनाओं सहितलाल और बवाल (जुगलबन्दी)https://www.blogger.com/profile/08266959740750664357noreply@blogger.com