शुभारम्भ !
वैसे तो ब्लॉग इन्टरनेट पर अपना journal होता है लेकिन इस ब्लॉग का मक्सद कुछ और ही है इस ब्लॉग के जरिये मैं हिन्दी से जुड़े रहने की एक कोशिश कर रही हूँ। अपनी दिनचर्या में तो हिन्दी फिल्म देखने या हल्की- फुल्की बातचीत करने के आलावा हिन्दी से कोई और वास्ता नही पड़ता -- न तो मैं हिन्दी में कुछ पढ़ती हूँ, न लिखती हूँ शुरुआत हुई कुछ मित्रों के हिन्दी ब्लॉग पढ़ने से और फिर सोचा, क्यों न लिखना भी शुरू किया जाए सबसे बड़ी परेशानी यह है की मेरा शब्दकोष बहुत ही छोटा है -- शायद पाँच-छः साल के बच्चे जितना जब दूसरों का ब्लॉग पढ़ते समय ही कई शब्द समझ नही आते और अर्थ पता करने का वक्त भी नहीं मिल पता-- बस पूरे वाक्य के सन्दर्भ में ही अर्थ का अंदाजा लगा लिया करती हूँ -- तो ख़ुद लिखने की क्या सूझी?
जितनी जानती हूँ, कहीं वो भी न भूल जाऊं, कुछ तो इस डर से और क्या पता थोड़ा-थोड़ा लिखने से कोई सुधर हो जाए, ऐसी आशा से ही यह काम शुरू रही हूँ क्या लिखूंगी? नही पता वक्त मिलेगा? नही पता कब तक जोश रहेगा? नही पता कुछ न करने से थोड़ा ही करना अच्छा होता है -- इस विचार से शुरुआत कर रही हूँ आगे राम जाने
जितनी जानती हूँ, कहीं वो भी न भूल जाऊं, कुछ तो इस डर से और क्या पता थोड़ा-थोड़ा लिखने से कोई सुधर हो जाए, ऐसी आशा से ही यह काम शुरू रही हूँ क्या लिखूंगी? नही पता वक्त मिलेगा? नही पता कब तक जोश रहेगा? नही पता कुछ न करने से थोड़ा ही करना अच्छा होता है -- इस विचार से शुरुआत कर रही हूँ आगे राम जाने
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