नैनो न सजाना नयनन में…
ये लखटकिया गाड़ी असल में दूसरी गाड़ियों से भी महन्गी पड़ सकती है, इसलिए सावधान! ये जिस कथित आम आदमी के लिए बनाई गई है, कम-स-कम उसकी पहुँच से तो बाहर है। जहाँ महन्गी से महन्गी गाड़ियों को बुक कराने की कीमत पाँच से पंद्रह हज़ार है, वहाँ इसके लिए देने पड़ेंगे पूरे ९५,०००!!! सिन्गूर का किस्सा तो सबको मलूम है पर उसकी भरपाई तो पहले ही दाम को एक लाख से एक पैंतीस करके की जा चुकी है। अगर आप गाड़ी मिलने के समय तक का ब्याज लगाएँ तो तक्रीबन पौने दो लाख की कीमत पड़ेगी नैनो के सबसे कम दाम वाले मॉडल की।
तो अभी तो ये गाड़ी उन्हीं के लिए है जो इसे शौकिया या विह्वलता वश खरीदना चाहें, यानी अपने कथित उद्देश्य से बिलकुल विपरीत। तो अगर आप इस साल कम दाम में गाड़ी खरीदना चाहते हैं तो पुरानी मारुति, सैन्ट्रो या ज़ेन इत्यादी में से कोई ले लीजिए।
मैं गाड़ियों के मामले में तो विशेषज्ञ नहीं हूँ, पर पैसा समझ-बूझ से खर्च करने के मामले में ज़रूर बनना चाहती हूँ और गहन-चिन्तन सोते-जागते जारी रहता है! इसलिए फ़िलहाल चाहे मेरा कोई नयी साइकिल तक लेने का इरादा नहीं है, पर नैनो पर मुबाहिसों के चलते मैंने भी बहती गन्गा में हाथ धो लिए। मुफ़्त की सलाह बाँटना भारतीयों का प्रिय शुगल है, ऐसा अविनाश वाचस्पति जी ने एक रोचक काव्य-टिप्पणी में हाल ही में कहा था, सो लीजिए मैंने भी बाँट दी!
8 comments:
हमारे कुशल पंडित ने तो इसे पहले ही दिन फेल कर दिया. उन्होने बताया कि पापा इससे तो अगर हम लोग गोरखपुर जाएंगे तो ये तो बीच रास्ते में ही थक जाएगी. ऐसी गाड़ी लेने से क्या फ़ायदा?
सलाह सर माथे .....अच्छा लिखा है ! लाख टके की सलाह है ! शुक्रिया !
nano ko kahne no no!
मुझे तो इसका सपना और इसकी चाह कभी नहीं रही । इसकी प्रशंसा और इसकी सीमाओं की जानकारी अपने आप मिल जा रही है, इसलिये जान ले रहा हूं ।
प्रविष्टि का धन्यवाद ।
एक तरह से अच्छा ही है. सबके पास कार हो गई तो सडको पर चलने की जगह कहाँ बचेगी.
आपकी बात तो एकदम ठीक है, लेकिन इसका खामियाज़ा हमेशा आम आदमी क्यों भुगते? अमीरों पर क्यों नहीं रोक लगाते ताकि वे ज़्यादा गाड़ियाँ न खरीदें? पर हमारे देश में तो गरीबमार है! इसी के चलते दिल्ली की नगर निगम चाहती है कि साइकिल रिक्शा केवल ९०,००० ही हों, इससे अधिक लाइसेन्स न बाँटे जाएँ। कभी किसीने कारों की सन्ख्या तय की है क्या? मेरा मानना ये है कि किसी भी व्यक्ती को अपने नाम पर एक से अधिक कार खरीदने पर रोक होनी चाहिए। अगर आपके परिवार के सदस्य के पास कार है तो आप पर एक और कार लेने के लिए ज़्याद कर लगना चाहिए, और पेट्रोल भी महन्गा मिलना चाहिए। ऐसे और उपाय भी सोचे जा सकते हैं। पर यह सही नहीं कि बेचारा आम आदमी कभी कार ही न खरीद पाए!!!
सही कहा आपने. कारों की पार्किंग भी टू व्हीलर की तुलना में पांच गुना ज्यादा जगह घेरती है. मेरे विचार में इसपर डिटेल में कुछ लिखिए.
aisi gaadi ki hame kabi aas nahi thi. jo lena chahte hai unke liye aapki baat लाख टके की सलाह है
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